HBSE Class 12 Zero Pass Rate Schools: हरियाणा के 18 स्कूलों में एक भी छात्र पास नहीं
हरियाणा बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन (HBSE) ने Haryana Board 12th result 2025 की घोषणा के साथ 85.66% का समग्र पास प्रतिशत दर्ज किया, लेकिन एक चौंकाने वाली खबर ने शिक्षा विभाग में हड़कंप मचा दिया है। HBSE Class 12 zero pass rate schools की सूची में 18 स्कूल ऐसे हैं, जहां एक भी छात्र पास नहीं हुआ। इनमें से छह स्कूल नूंह जिले में हैं, जो सबसे खराब प्रदर्शन करने वाला जिला रहा। Nuh district poor performance ने हरियाणा की शिक्षा व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। बोर्ड ने 100 कमजोर प्रदर्शन वाले स्कूलों की सूची बनाई है, जिसमें सरकारी और निजी दोनों संस्थान शामिल हैं। आइए, इस Haryana education crisis के कारणों और समाधानों पर नजर डालें।

हरियाणा बोर्ड 12वीं परिणाम: चौंकाने वाले आंकड़े
Haryana Board 12th result 2025, जो 13 मई 2025 को घोषित हुआ, में 1,93,828 नियमित छात्रों ने हिस्सा लिया, जिनमें से 1,66,031 पास हुए। पास प्रतिशत 85.66% रहा, जिसमें लड़कियों ने 89.41% के साथ लड़कों (81.86%) को 7.55% के अंतर से पीछे छोड़ा। कॉमर्स स्ट्रीम ने 92.20% के साथ सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया, इसके बाद आर्ट्स (85.31%) और साइंस (83.05%) रहे। जिंद जिला टॉप पर रहा, जबकि नूंह सबसे निचले पायदान पर।
लेकिन इस चमकदार आंकड़े के पीछे एक कड़वी सच्चाई छिपी है। HBSE Class 12 zero pass rate schools की सूची में 18 स्कूलों का पास प्रतिशत शून्य रहा। इनमें से छह स्कूल नूंह, चार फरीदाबाद, और एक-एक गुरुग्राम, हिसार, झज्जर, करनाल, पलवल, रोहतक, सोनीपत, और यमुनानगर में हैं। HBSE चेयरमैन डॉ. पवन कुमार ने बताया, “एक स्कूल में 13 छात्र थे, और कोई भी पास नहीं हुआ। अधिकांश शून्य परिणाम वाले स्कूलों में 1-2 छात्र ही थे, फिर भी यह निराशाजनक है।”
शिक्षा संकट के कारण
Nuh district poor performance और अन्य स्कूलों की विफलता ने Haryana education crisis को उजागर किया है। X पर कुछ उपयोगकर्ताओं ने इसे “शिक्षा प्रणाली की विफलता” करार दिया। प्रमुख कारणों में शामिल हैं:
- शिक्षकों की कमी और प्रशिक्षण: कई स्कूलों में योग्य शिक्षकों की कमी है, और मौजूदा शिक्षकों को आधुनिक शिक्षण तकनीकों का प्रशिक्षण नहीं मिलता।
- छात्रों की कम भागीदारी: ग्रामीण क्षेत्रों में छात्रों की अनुपस्थिति और पढ़ाई के प्रति उदासीनता एक बड़ी समस्या है।
- बुनियादी ढांचे की कमी: नूंह जैसे जिलों में स्कूलों में लैब, लाइब्रेरी, और डिजिटल संसाधनों का अभाव है।
- सामाजिक-आर्थिक चुनौतियां: गरीबी और अशिक्षा के कारण कई छात्र पढ़ाई पर ध्यान नहीं दे पाते।
बोर्ड ने इन स्कूलों के शिक्षकों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई और शिक्षक प्रशिक्षण को अनिवार्य करने की सिफारिश की है। डॉ. कुमार ने कहा, “हमें खराब प्रदर्शन के मूल कारणों को समझना होगा। शिक्षकों को नई शिक्षण विधियों को अपनाना होगा और छात्रों व अभिभावकों से सीधा संवाद करना होगा।”
बोर्ड की कार्रवाई और सुधार के कदम
HBSE ने 100 कमजोर प्रदर्शन वाले स्कूलों की सूची शिक्षा निदेशालय और शिक्षा मंत्रालय को भेजी है। बोर्ड ने निम्नलिखित कदमों की सिफारिश की है:
- शिक्षक प्रशिक्षण: कमजोर स्कूलों के शिक्षकों के लिए अनिवार्य प्रशिक्षण और ओरिएंटेशन कोर्स।
- छात्र- अभिभावक संवाद: स्कूलों को छात्रों और उनके माता-पिता के साथ नियमित बैठकें आयोजित करने के लिए कहा गया है।
- निगरानी और जवाबदेही: कमजोर स्कूलों की प्रगति की त्रैमासिक समीक्षा।
- बुनियादी ढांचे में सुधार: नूंह जैसे जिलों में स्कूलों को डिजिटल संसाधन और बेहतर सुविधाएं प्रदान करना।
X पर कुछ उपयोगकर्ताओं ने इन कदमों को सराहा, लेकिन कुछ ने सरकार पर “शिक्षा को प्राथमिकता न देने” का आरोप लगाया।
छात्रों के लिए अगले कदम
जो छात्र Haryana Board 12th result 2025 में असफल हुए, उनके लिए बोर्ड ने कई विकल्प प्रदान किए हैं:
- पुनर्मूल्यांकन: परिणाम घोषणा के 20 दिनों के भीतर पुनर्मूल्यांकन के लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए प्रति विषय शुल्क देना होगा।
- कम्पार्टमेंट परीक्षा: एक या दो विषयों में असफल छात्र जून/जुलाई 2025 में कम्पार्टमेंट परीक्षा दे सकते हैं।
- पुन: परीक्षा: गंभीर मामलों में छात्र अगले साल पूरी परीक्षा दोबारा दे सकते हैं।
छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी मार्कशीट bseh.org.in से डाउनलोड करें और मूल मार्कशीट जुलाई 2025 में अपने स्कूलों से प्राप्त करें।
हरियाणा की शिक्षा प्रणाली: एक नजर
हरियाणा बोर्ड, जो 1969 में स्थापित हुआ, ने शिक्षा के स्तर को ऊंचा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। लेकिन HBSE Class 12 zero pass rate schools की खबर ने इसकी कमियों को उजागर किया है। नूंह जैसे जिलों में शिक्षा की स्थिति विशेष रूप से चिंताजनक है। बोर्ड ने इस साल पेपर लीक की घटना के बाद अंग्रेजी विषय की पुन: परीक्षा आयोजित की थी, जो इसकी निष्पक्षता को दर्शाता है। फिर भी, 18 स्कूलों का शून्य पास प्रतिशत शिक्षा नीतियों और उनके कार्यान्वयन पर सवाल उठाता है।
FAQs: HBSE Class 12 Zero Pass Rate Schools
1. हरियाणा के किन स्कूलों में शून्य पास प्रतिशत रहा?
18 स्कूलों, जिनमें छह नूंह, चार फरीदाबाद, और एक-एक गुरुग्राम, हिसार, झज्जर, करनाल, पलवल, रोहतक, सोनीपत, और यमुनानगर में हैं।
2. शून्य पास प्रतिशत का मुख्य कारण क्या है?
शिक्षकों की कमी, अपर्याप्त प्रशिक्षण, बुनियादी ढांचे का अभाव, और सामाजिक-आर्थिक चुनौतियां प्रमुख कारण हैं।
3. बोर्ड ने क्या कदम उठाए हैं?
बोर्ड ने शिक्षक प्रशिक्षण, छात्र-अभिभावक संवाद, और बुनियादी ढांचे में सुधार की सिफारिश की है।
4. असफल छात्र क्या कर सकते हैं?
छात्र पुनर्मूल्यांकन या कम्पार्टमेंट परीक्षा के लिए आवेदन कर सकते हैं।
निष्कर्ष
HBSE Class 12 zero pass rate schools की खबर ने हरियाणा की शिक्षा व्यवस्था में सुधार की तत्काल आवश्यकता को उजागर किया है। Nuh district poor performance और अन्य स्कूलों की विफलता एक गंभीर Haryana education crisis की ओर इशारा करती है। बोर्ड और सरकार के सुधारात्मक कदम सही दिशा में हैं, लेकिन इनका प्रभावी कार्यान्वयन जरूरी है। क्या यह संकट हरियाणा को अपनी शिक्षा प्रणाली को मजबूत करने का अवसर देगा? अधिक अपडेट्स के लिए Financedada.com पर बने रहें!
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